आज से शुरू हो रहे हैं होलाष्टक 2 मार्च तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य

होली और अष्‍टमी का संयोग

होली और अष्टक दो शब्दों की संधि से होलाष्टक बनता है जिनका अभिप्राय होली के पूर्व के आठ दिन होता है। ये फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक चलते हैं। इस दिन से होलिका दहन की तैयारियों के साथ होली में रंग खेलने की योजना बनने लगती है। पंडित नारायण आचार्य के अनुसार होलाष्टक के दौरान सभी ग्रह उग्र या गर्म स्वभाव में रहते हैं जिसके कारण शुभ कार्यों को वर्जित माना जाता है। अघ्‍टमी के दिन से ही होलाष्टक प्रारंभ होने के साथ ही होलिका दहन के स्थान को गोबर और गंगाजल लीप कर वहां पर होलिका का डंडा लगा दिया जाता है। होलाष्टक एक दिन का नहीं बल्‍कि आठ दिन का पर्व है। इस साल होलाष्टक 23 फरवरी 2018 से प्रारंभ हो कर 1 मार्च 2018 होलिका दहन तक रहेंगे और 2 मार्च 2018 को रंग की पड़ेवा है इसलिए सभी शुभ कार्य तब तक स्‍थगित रहेंगे।

आठों दिन उग्र होते हैं नव ग्रह-

वहीं पं. विजय त्रिपाठी विजय के अनुसार सभी नव ग्रह अपनी उग्रावस्‍था में रहते हैं इसलिए इस दौरान विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश, ग्रह निर्माण और मुंडन आदि शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।  होलाष्टक में अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहू उग्र रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन्‍हीं आठ दिनों में बालक प्रह्लाद की अनन्य नारायण भक्ति से नाराज हिरण्यकश्यप ने उनको अनेक प्रकार के कष्ट दिए थे और होलिका दहन वाले दिन उसको जीवित जलाने का प्रयास किया था,  तभी से इन आठ दिनों को हिंदू धर्म में अशुभ माना जाता है।