कुछ घरेलू उपाय, जो फैटी लिवर को कर देंगे एकदम फिट

आज के समय में व्यस्त दिनचर्या और अनियमित जीवनशैली के चलते शरीर कई तरह की बीमारियों के घेरे में आ रहा है. इन्हीं समस्याओं में से एक समस्या है लिवर में चर्बी का जमा होना. फैटी लिवर की समस्या खासकर उन लोगों को जल्दी घेरती है जो चर्बी युक्त भोजन और शराब का सेवन ज्यादा करते हैं. लिवर की कोशिकाओं में सामान्य से अधिक फैट जमा होने से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. भविष्य में इससे कई तरह के नुकसान भी हो सकते हैं. ऐसी स्थिति होने पर जरूरी है कि अपने खानपान में सुधार किया जाए और नियमित जीवनशैली अपनाई जाए. हालांकि लिवर में जमा चर्बी को कुछ घरेलू नुस्खों से आसानी से दूर किया जा सकता है. लेकिन इन घरेलू नुस्खों को आजमाने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर ले. शरीर में लिवर की भूमिका प्यूरीफायर की होती है जो शरीर की गंदगी को साफ कर शरीर को स्वस्थ बनाने में मदद करता है.

घरेलु नुस्खों से फैटी लिवर को बनाएं तंदुरुस्त

मिल्क थिस्ल
मिल्क थिस्ल एक तरह का पौधा है जिसमें बैंगनी रंग के फूल लगे होते हैं. इसका प्रयोग औषधियां बनाने में होता है. मैरीलैंड मेडिकल सेंटर यूनिवर्सिटी के अनुसार मिल्क थिस्ल से लिवर और पित्ताशय के इलाज का पुराना इतिहास रहा है. कुछ सामान्य परिस्थितियों में मिल्क थिस्ल से लिवर के साथ-साथ हेपेटाइटिस, पथरी और सिरोसिस का भी इलाज किया जा सकता है. फैटी लिवर के इलाज में ये विशेष रूप से उपयोगी है. मिल्क थिस्ल में फ्लेवोनोइड कॉम्प्लेक्स होता है जिसे सिलेमारिन कहते हैं जो खतरनाक टॉक्सिन्स से लिवर का बचाव करता है. साथ ही डेमेज्ड लिवर सेल्स का उत्थान करता है जो कि फैटी लिवर को स्वस्थ बनाने में सहायक होता है.

हल्दी
वैसे तो हल्दी में कई गुण होते हैं जो कई तरह के रोगों में फायदा देती है. चीनी और आयुर्वेदिक दवाओं में भी हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है. हल्दी लिवर, त्वचा और पाचन तंत्र को ठीक करने में सहायक होती है. हृदय रोग और गठिया में भी हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है. हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट के गुण होते हैं जो लिवर सेल्स को डेमेज होने से बचाती है. आप हल्दी का इस्तेमाल खाने में मसाले के तौर पर या किसी अन्य तरीके से भी कर सकते हैं.

वसानियामक (lipotropics)
Lipotropics लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं और डिटोक्सिफिकेशन की प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा देते हैं. कुछ लिपोट्रॉपिक तत्वों में मेथियोनीन, कोलीन और बीटेन शामिल होते हैं जो वसा के प्रवाह को लिवर से बाहर लाने और बड़ी आंत  के माध्यम से शरीर से बाहर लाने में सहायक होते हैं. यह लिवर में फैट के जोखिम को कम करता है. लिपोट्रॉपिक्स पित्ताशय, पूर्व मासिक रोग, फाइब्रोसिस्टिक, स्तन रोग और फैटी लिवर के इलाज में उपयोगी हो सकता है.

व्यायाम
इन सबके अलावा आप व्यायाम के माध्यम से भी लिवर के फैट को कम कर सकते हैं. इसके लिए आपको अपनी दिनचर्या के साथ-साथ जीवनशैली में भी कुछ परिवर्तन करने होंगे. साथ ही ख्याल रखें की अचानक से अधिक व्यायाम न करें, पहले कम प्रभाव वाले व्यायाम से शुरुआत करें और धीरे-धीरे व्यायाम की गति बढ़ाएं. इन घरेलू उपायों के साथ ही इस बात का भी ख्याल रखें की समय-समय पर आप डॉक्टरी सलाह लेते रहें और अपने कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, शुगर और लिवर की स्थिति की जांच कराते रहें.