गैरसैंण की सुरक्षा के लिए नया कानून और पुलिस थाना जरुरी

खबरें अभी तक। उत्तराखंड के 65 फीसद क्षेत्र में आज भी राजस्व पुलिस की कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रही है. गैरसैंण स्थित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली विधानसभा परिसर का क्षेत्र भी पटवारी के जिम्मे है. यदि वहां कैंटीन संचालक से मारपीट न हुई होती तो इसका खुलासा भी न होता.

दरअसल कैंटीन संचालक से मारपीट के बाद एफ़आइआर लिखाने की बात हुई तो पता चला यह राजस्व पुलिस का क्षेत्र है यहां सिविल पुलिस है ही नहीं तो एफआईआर कैसे लिखाएं. यह तो गनीमत है कि यह मामला कैन्टीन संचालक साथ मारपीट का ही था. लेकिन अब जब वहां कोई सत्र नहीं चल रहा है और सुरक्षा में कोई चूक होती है तो क्या बिना हथियार डंडे के गांधी पुलिस या यूं कहें कि पटवारी इसे संभाल सकता है.

पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद रमेश पोखरियाल निशंक कहते हैं कि जिस क्षेत्र में विधानसभा हो वहां और अन्य क्षेत्रों में अन्तर होना चाहिए.

हालंकि हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश सरकार पूरे प्रदेश में राज्सव पुलिस खत्म कर सिविल पुलिस की व्यवस्था लाना चाहती है और इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने एक प्रस्ताव भी बना कर भेजा है. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कहते हैं कि राजस्व पुलिस को खत्म न कर उन्हें और संख्याबल और तकनीकी रूप से मजबूत करना होगा जिससे नए परवेश में उन्हें ढलने का मौका मिले. गैरसैंण की सुरक्षा की बात की जाए तो वहां जब तक कोई नया कानून न बने तब तक एक वैकल्पिक पुलिस थाना या चौकी खोलने की बात जरूर कहते हैं.

 राजस्व पुलिस की यह व्यवस्था तकरीबन 100 वर्ष से भी अधिक पुरानी है. इसमें पटवारी व तहसीलदार ही पुलिस की भूमिका निभाते हुए मामलों की जांच करते हैं. यह काम न तो यह आसान है और न ही बदली हुई परिस्थितियों में व्यवहारिक है.

एक तो राजस्व पुलिस के पास रेगुलर पुलिस जैसे संसाधनों नहीं हैं. दूसरा पटवारी व तहसीलदार के पास अन्य काम भी होने के कारण कानून-व्यवस्था संभालने में दिक्कत आना स्वाभाविक है.

पहाड़ी क्षेत्रों में बढ़ते अपराध लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ा रहे हैं. पर्वतीय क्षेत्रों में हत्या, महिलाओं का अपहरण और चोरी की घटनाओं में हुआ इजाफा यह बताने के लिए काफी है कि क्षेत्र में राजस्व पुलिस की नहीं, बल्कि रेगुलर पुलिस की ज़रूरत है