एनसीईआरटी बुक्स सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में भी लागू

खबरें अभी तक। एनसीईआरटी बुक्स को सरकार ने सरकारी के साथ गैर सरकारी स्कूलों में भी लागू कर दिया है. इसे लेकर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे अपनी पीठ थपथपाते नहीं थक रहे हैं. प्राइवेट स्कूल सरकार के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ हड़ताल पर हैं तो सरकारी स्कूल ऐसे खुले हैं, शायद इनका बंद रहना ही ठीक रहता. स्कूल खुलने के पहले दिन न्यूज़ 18 संवाददाता भारती सकलानी दो सरकारी स्कूलों में गईं और स्थिति का जायज़ा लिया.

राजधानी के जोहड़ी गांव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में न्यूज़ 18 को खाली टेबल, कुर्सियां और पूरी तरह अस्त-व्यक्त क्लासरूम मिले. कैमरा देखने के बाद टीचर्स को फ़ोन करके बुलाया गया और बच्चों को पकड़कर क्लास में बैठाया गया. लेकिन उनके पास नई क्लास की किताबें ही नहीं थीं. दरअसल न बच्चों को स्कूल में किताबें मिलीं और न ही उनके खातों में डीबीटी के ज़रिए पैसे ट्रांसफर हुए कि वह बाज़ार से खरीद सकें.

स्थिति यह है कि शिक्षकों तक को विभाग के कोई जानकारी नहीं मिल रही है, ऐसे में बच्चों को क्या पता चलेगा. शिक्षक कहते हैं कि उन्हें तो जो पता चल रहा है वह अख़बार, टीवी से ही पता लग रहा है.

जोहड़ी गांव का स्कूल सिर्फ़ उदाहरण मात्र है. जोहड़ी गांव के इस स्कूल में सिर्फ़ भोजन माता ही मौजूद थी. स्कूल में तैनात तीनों शिक्षिकाएं वहां नहीं थीं. यहां से न्यूज़ 18 की टीम प्राथमिक विद्यालय में पहुंची तो देखा कि किताबें न पहुंचने की वजह से पुराना सिलेबस ही पढ़ाया जा रहा था.

 सरकारी स्कूलों की यह हालत बताती है कि आखिर क्यों एक गरीब आदमी भी पेट काटकर अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में भर्ती करवाना चाहता है और क्यों वह इन प्राइवेट स्कूलों की तमाम तरह की ब्लैकमेलिंग को बर्दाश्त करता जाता है क्योंकि उसे डर रहता है कि कहीं उसके बच्चे को ऐसे ही किसी स्कूल में न जाना पड़े.