खबरें अभी तक। घाटी में लगातार बढ़ रही आतंकी घटनाओं के बीच सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. रक्षा मंत्रालय ने एक बड़े फैसले के तहत मंगलवार को 15,935 करोड़ रुपए के पूंजीगत खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है. इनमें सशस्त्र बलों की शक्ति को और मजबूत करने के लिए 7.40 लाख असॉल्ट राइफलों, 5,719 स्नाइपर राइफलों और लाइट मशीन गनों की खरीद शामिल है.
काफी समय से लंबित प्रस्तावों को रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में मंजूरी दी गई. डीएसी रक्षा मंत्रालय की निर्णय लेने वाली शीर्ष इकाई है, जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान के साथ बढ़ती दुश्मनी तथा लगभग चार हजार किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा पर कई जगहों पर चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच इन खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है.
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में डीएसी ने 15,935 करोड़ रुपये के पूंजीगत खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दे दी. इसने बताया कि डीएसी ने सेना के तीनों अंगों के लिए 12,280 करोड़ रुपये की लागत से 7.40 लाख असॉल्ट राइफलों की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी.
ये राइफलें सरकार संचालित आयुध फैक्टरी और निजी क्षेत्र दोनों के जरिए ‘बाय एंड मेक इंडियन’ श्रेणी के तहत भारत में बनाई जाएंगी. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सीमाओं पर तैनात सैनिकों की अभियानगत जरूरतों को प्राथमिक रूप से पूरा करने के लिए 1,819 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से ‘‘फास्ट ट्रैक’’ रूट के जरिए लाइट मशीनगनों (एलएमजी) की ‘‘आवश्यक मात्रा’’ पूरी की जाएगी. उनके मुताबिक, ‘‘बॉय एंड मेक (इंडियन) श्रेणी के तहत संतुलित मात्रा में खरीद के लिए एक साझा प्रस्ताव पर प्रक्रिया चल रही है.’’
शुरू में इन हथियारों के लिए गोला-बारूद खरीदा जाएगा और बाद में इसका विनिर्माण भारत में किया जाएगा. मंत्रालय ने कहा कि नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता को मजबूत करने के लिए डीएसी ने 850 करोड़ रुपये की लागत से ‘एडवांस्ड टारपीडो डिकॉइ सिस्टम’ (एटीडीएस) की खरीद को भी मंजूरी प्रदान कर दी.
मारीच एडवांस्ड टारपीडो डिकॉइ सिस्टम को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने देश में ही विकसित किया है और यह प्रणाली सघन परीक्षण मूल्यांकन पूरा कर चुकी है. मंत्रालय ने कहा, ‘‘मारीच प्रणाली का विनिर्माण 850 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, बेंगलूरू द्वारा किया जाएगा.’’