बिटकॉइन बुलबुला है, आज नहीं तो कल फूटेगा जरूर

खबरें अभी तक। कुछ महीने पहले मैंने बिटकॉइन के बुलबुले के बारे में लिखा था। उस वक्त इसकी कीमत 10,000 डॉलर (करीब साढ़े छह लाख रुपये) के आसपास थी। इसको लेकर लोगों का पागलपन चरम पर था। उस वक्त मैंने लिखा था कि यह कुछ वक्त का बुलबुला है और निश्चित रूप से इसका अंत बहुत बुरा होगा। मैंने इस बात को भी रेखांकित किया था कि बिटकॉइन को लेकर लोगों की राय जो भी, इसे खरीदने का तरीका ही उलझाने वाला है। मूलरूप से लोग ऐसे खातों में पैसा भेज रहे हैं, जिसके बारे में उन्हें कुछ भी नहीं पता है। इन पैसों के बदले में उनके मोबाइल या कंप्यूटर पर कुछ नंबर आते हैं, जिसे देखकर वो खुश हो जाते हैं।

जब मैंने वह लेख लिखा था, उस वक्त मैं इसकी आलोचना में मिलने वाली ढेरों प्रतिक्रियाओं से चौंक गया था। मैंने और भी बहुत से विषयों पर स्पष्टता से लिखा है, लेकिन इस तरह की आलोचना का सामना मुझे कभी नहीं करना पड़ा था। कई लोगों ने मुझ पर इस बात के लिए भी निशाना साधा था कि मैंने बिटकॉइन को बुलबुला क्यों कहा। फिलहाल आज मैं सिर्फ अपने उस पुराने लेख के बारे में जानकारी साझा करने के लिए नहीं लिख रहा हूं। मैं इस घटना को समझने का प्रयास कर रहा हूं। बहुत से बिटकॉइन निवेशक, जिन्हें मैं व्यक्तिगत रूप से भी जानता हूं, इसमें दिलोजान से पैसा लगा रहे हैं। इसमें निवेश करने वालों को बिटकॉइन पर अथाह भरोसा है। यह इस तरह से है, जैसे वह किसी नए धर्म से जुड़ गए हों।

मुझे लगता है कि उनमें से बहुत से लोगों का मानना है कि बिटकॉइन ने उनके लिए तुरंत अमीर बनने का रास्ता खोल दिया है। निवेश का कोई पारंपरिक तरीका अपनाए बिना ही इसकी मदद से वे अमीर हो जाएंगे। इसमें महत्वपूर्ण बात है कि उन्हें लगता है कि इसे समझने के लिए उन्हें किसी ब्रोकर या विशेषज्ञ की सहायता की जरूरत नहीं है। वे इसके बारे में उतना ही जान सकते हैं, जितना कोई और। मुझे जो प्रतिक्रियाएं मिली थीं, उनमें से कई में यह पंक्ति लिखी थी, ‘तुम जैसे लोग इसे क्या समङोंगे, यह टेक्नोलॉजी है!’

आश्चर्यजनक रूप से बहुत से बिटकॉइन निवेशक इसके टिकाऊपन को लेकर भारी-भरकम आर्थिक तर्क देते हैं। उनका तर्क होता है कि अधिकतम बनाए जा सकने वाले बिटकॉइन की संख्या निश्चित है, इसलिए अन्य मुद्राओं से इतर, इसकी कीमत कभी गिरेगी नहीं। समय के साथ इसकी कीमत बढ़ती ही जाएगी। मजेदार बात है कि कुछ वक्त पहले तक रियल एस्टेट डेवलपर भी ऐसा ही तर्क देते थे। उनका तर्क था कि नई जमीन नहीं बनाई जा सकती है, इसलिए जमीन की कीमत बढ़ती ही रहेगी।

फिलहाल जो भी गिरावट बिटकॉइन में हो रही है, इसके निवेशकों की नजर में यह षड्यंत्र है, जो चारों ओर से इसके खिलाफ किया जा रहा है। उनमें से ज्यादातर के बीच यही कहानी चल रही है कि शक्तिशाली देश जैसे चीन और बड़े संस्थान जैसे गोल्डमैन सैक्श बिटकॉइन को बर्बाद करने के लिए एक हो गए हैं। क्योंकि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो बिटकॉइन उन्हें बर्बाद कर देगा।

समस्या शुरुआती चरण में ही है

बिटकॉइन के साथ समस्या शुरुआती चरण में ही है, जिसे निवेशक देख नहीं पा रहे हैं। व्यक्तिगत रूप से मैंने एक भी ऐसे व्यक्ति को नहीं देखा है, जो बिटकॉइन तक खुद खोज कर पहुंचा हो। सॉफ्टवेयर को डाउनलोड किया हो और अपना वॉलेट तैयार किया हो या बाकी काम किए हों। हुआ यह है कि पिछले दो साल में इससे जुड़ा एक मल्टीलेवल मार्केटिंग नेटवर्क तैयार हो गया है। हर निवेशक को यह विचार किसी दूसरे निवेशक ने ही बेचा है। वह निवेशक खुद को ब्रोकर या फिर वैसा ही सामान्य निवेशक बताता है।

कुछ हफ्तों में, जिन लोगों ने बिटकॉइन बेचने का प्रयास किया, उन्होंने टोकन जारी किया। कुछ को एहसास हुआ कि बेचने के बाद जो पैसा, वो खाते में आने की उम्मीद कर रहे थे, बिटकॉइन में क्रैश होते ही वह गायब हो गया। मेरी समझ यह कहती है कि भारत में बिटकॉइन को लेकर जिस तरह की नीतिगत चर्चा होती है, वह पोंजी स्कीमों जैसी ही है।

आशंकाओं के घेरे में बिटफिनेक्स प्रबंधन तंत्र

मजेदार बात यह भी है कि अब बातें फैलने लगी हैं कि ज्यादा ऊंचे स्तर पर ज्यादातर जगहों पर यही हालत होगी। दुनियाभर में बिटकॉइन के तमाम एक्सचेंजों में यह बात हो रही है। पिछले कुछ दिनों में दुनिया का सबसे बड़ा बिटकॉइन एक्सचेंज होने का दावा करने वाले बिटफिनेक्स को लेकर कई खबरें छपी हैं। इन खबरों से इसके पूरे प्रबंधन तंत्र को लेकर गंभीर आशंकाएं पैदा हुई हैं। इस बारे में सबसे पहले न्यूयॉर्क टाइम्स और ब्लूमबर्ग ने खबर चलाई थी। इंटरनेट पर इन समाचारों को पढ़ा जा सकता है।