तीन सौ का चारा और दो सौ का दूध, कैसे पालें गाय?

आवारा पशुओं से खेती को होने वाले नुकसान का मसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष उठाया गया। खेती को आवारा पशुओं से बचाने की उनसे गुहार भी लगाई गई। किसान प्रतिनिधियों ने कहा कि खेतों में खड़ी फसलों को आवारा पशु रातोंरात खाए जा रहे हैं। चारे की भारी कमी के चलते पशुधन की चुनौतियां गंभीर हो गई हैं। तीन सौ रुपये का चारा और दो सौ रुपये का दूध। भला ऐसे में कैसे गाय पालें सर?

किसानों की आमदनी को दोगुना करने के उपायों पर चर्चा के लिए आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के आखिरी दिन मोदी ने खुद भी हिस्सा लिया। इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों के लिए गठित समितियों ने अपनी सिफारिशें प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष पेश की। पशुधन, डेयरी, पोल्ट्री और मत्स्य क्षेत्र की चुनौतियां प्रस्तुत करते हुए दो समूह ने इसका जिक्र किया। महाराष्ट्र के किसान नेता पाशा पटेल ने किसानों की वास्तविक मुश्किलों को जीवंत तरीके से पेश किया।

कृषि विकास को रफ्तार देने वाला पशुधन व डेयरी क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। समिति ने अपनी सिफारिश में इसे कृषि से अलग सेक्टर मानने को कहा। छोटे किसानों की आजीविका का सहारा रहे इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। इसे आयकर, कस्टम, बीमा और ऋण देने में रियायत की सख्त जरूरत है। सर्वाधिक दूध पैदा करने वाला देश भले ही बन गये हैं, लेकिन उत्पादकता के स्तर पर बहुत नीचे हैं। केवल पांच फीसद दूध का मूल्यवर्धन किया जाता है।