क्या सचमुच फेसबुक के ज़रिए चुराया गया आपका डेटा?

खबरें अभी तक। फेसबुक विवाद पर पहली बार कंपनी के सीईओ मार्क ज़करबर्ग ने बुधवार को चुप्पी तोड़ी. ज़करबर्ग ने एक पोस्ट के ज़रिए कैंब्रिज एनालिटिका स्कैंडल पर बात तो की मगर गौर करने वाली बात ये है कि अपने स्टेटस अपडेट में इस पूरे मामले को, ‘विवाद’, ‘गलती’ और ‘विश्वासघात’ का नाम दिया. इस पूरे पोस्ट में ज़करबर्ग ने कहीं भी डेटा के साथ छेड़ छाड़ जैसे शब्द का इस्तेमाल नहीं किया.

फेसबुक के पास दुनिया में लगभग 220 करोड़ अकाउंट हैं. मतलब यह है कि पूरी दुनिया की 7.6 बिलियन आबादी में से 25% लोग फेसबुक पर ही हैं.

क्या हुआ था कुछ साल पहले?

कैंम्ब्रि‍ज एनालिटिका (सीए) ने एक दूसरी कंपनी ग्लोबल साइंस रिसर्च (GSR) की बनाई गई एक एप्लीकेशन का इस्तेमाल करते हुए आसानी से ये डेटा हासिल किए थे. साल 2014 में जीएसआर ने एक पर्सनॉलिटी क्विज ऐप ‘this is your digital life’ शुरू किया. इसे कुछ ‘मनोवैज्ञानिकों’ के किए जाने वाला प्रयोग बताया गया और इसमें भाग लेने वालों से कहा गया कि अगर वह इस ऐप को डाउनलोड करते हैं तो फेसबुक उनके दोस्तों का डेटा एक्सेस कर सकेगा. इस अप्लीकेशन को 2,70,000 लोगों ने डाउनलोड किया और 5 करोड़ प्रोफाइल का डेटा रिसर्चर्स के पास पहुंच गया, जिसके बाद इस पूरे डेटा को कैंब्रिज एनालिटिका को दे दिया गया.

इसी हफ्ते सामने आए डेटा ब्रीच मामले में फेसबुक पर आरोप हैं कि उसने करोड़ों यूजर्स का डेटा थर्ड पार्टी को अपने निजी फायदे के लिए बेचा है. डेटा चोरी का इसे अब तक का सबसे बड़ा मामला माना जा रहा है. कैंब्रिज एनालिटिका पर 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स के डेटा को चुराने और उसका इस्तेमाल ‘चुनाव प्रचार’ में करने का आरोप है.