एयर इंडिया से अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहती है सरकार, विनिवेश योजना को लग सकता है झटका

खबरें अभी तक। देश की सबसे बड़ी एयरलांइस मानी जाने वाली एयर इंडिया बिकने की कगार पर आ गयी है. एयर इंडिया में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहती है लेकिन एयरलाइन कंपनियों को इसमें खास दिलचस्पी नहीं है. जेट एयरवेज ने एयर इंडिया की नीलामी में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. इससे सरकार की विनिवेश योजना को झटका लग सकता है.

अगर देखा जाए जेट एयरवेज ने कभी भी खुलकर एयर इंडिया में अपनी दिलचस्पी नहीं जताई थी. लेकिन जेट का मैनेजमेंट अपने पार्टनर एयर फ्रांस-केएलएम और डेल्टा से नीलामी में प्रपोजल भेजने पर बातचीत की. लेकिन फिर जेट एयरवेज ने नीलामी में शामिल ना होने का फैसला कर लिया है.

जेट एयरवेज के डिप्टी चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर अमित अग्रवाल ने कहा, ‘एयर इंडिया के निजीकरण के फैसले का हम स्वागत करते हैं. लेकिन मेमोरेंडम में दी गई जानकारी और अपने रिव्यू के आधार पर हमने नीलामी में शामिल ना होने का फैसला किया है.’

जेट एयरवेज करीब 8 साल के बाद 2015-16 में मुनाफे में आई है. कंपनी का फोकस अब अपने कर्ज घटाने और फ्यूल के अलावा दूसरे खर्चों को कम करने पर है.