सीरिया पर हुए कैमिकल हमले से रूस और अमेरिका हुए आमने-सामने

खबरें अभी तक। सीरिया संकट से तीसरे विश्व युद्ध का खतरा पैदा हो रहा है। ये सवाल उठने लगा है क्योंकि सीरिया में कई देशों की गुटबंदी हिंसक रूप ले रही है। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने जहां सीरिया पर आरोप लगाया है कि वह केमिकल हथियार का इस्तेमाल कर रहा है, वहीं रूस और सीरिया की सरकार ने अमेरिकी कार्यवाही की निंदा की है। वहीं, कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस के युद्ध वाले जहाज सीरिया की ओर बढ़ रहे है। डेली मेल पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को सीरिया के रास्ते में 2 रूसी युद्धक जहाज मिलिट्री गाड़ियों के साथ स्पॉट किए गए हैं।

इनमें टैंक, मिलिट्री ट्रक और हथियारों से लैस नावें थी। एक जहाज को तुर्की के पास बॉस्फोरस में देखा गया है। जहाज की फोटोज़ को बॉस्फोरस में स्थित एक समुद्री पर्यवेक्षक ने ट्विटर पर पोस्ट किया।  आइए जानते हैं कि सीरिया में अब तक क्या-क्या हुआ है जिसकी वजह से आज स्थिति तीसरे विश्व युद्ध की बनने लगी है।

दरअसल, 2011 में जब अरब के कई देशों में जैस्मिन क्रांति शुरू हुई थी तभी सीरिया में भी इसकी शुरुआत हुई थी।लेकिन 7 साल बाद भी सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद की सेना और विद्रोहियों के बीच युद्ध जारी है।

5 लाख लोग अब तक मारे जा चुके हैं और इससे भी कई गुणा ज्यादा लोग शरण लेने के लिए पड़ोस के देशों की ओर भाग रहें हैं। सीरिया के कई शहर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं।

फ्रांस, ब्रिटेन ने अमेरिका के साथ मिलकर सीरिया पर हवाई हमला किया। सऊदी अरब और तुर्की अमेरिका का समर्थन करते दिखे। दूसरी ओर, ईरान और चीन ने अमेरिका की कार्यवाही को दूसरे देश के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप बताया। ईरान इस जंग में रूस और सीरियाई राष्ट्रपति असद के साथ खड़ा हुआ।

ऑस्ट्रेलिया और कनाडा भले ही इस बार की अमेरिकी कार्रवाई में शामिल नहीं थे लेकिन इससे पहले के एक्शन में उन्होंने साथ दिया था। सऊदी अरब असद सरकार और ईरानी हस्तक्षेप के खिलाफ है और आरोप लगते हैं कि विद्रोहियों को हथियार भी सऊदी अरब से ही मिलते हैं।

तबाही और उजड़ती ज़िंदगियों के बीच आज सीरिया दुनिया की जंग का अखाड़ा बन चुका है। दुनिया की तमाम ताकतें बमबारी का केंद्र सीरिया को बनाए हुए हैं। यूएनएससी जैसी संस्थाएं शांति स्थापाति करने, युद्ध रोकने और जान-माल की क्षति रोकने में नाकाम साबित हुई हैं।