स्तनपान शिशु के साथ-साथ मां के लिए भी काफी फायदेमंद

खबरें अभी तक। स्तनपान या ब्रेस्ट फीडिंग नवजात के आहार का सबसे महत्वूपर्ण हिस्सा होता है। स्तनपान से ना केवल शिशु को बल्कि मां को भी बहुत तरह के फायदे होते हैं।

आप हैरान रह जाएगो स्तनपान कराने के फायदे से बच्चे को आहार ही नहीं मिलता बल्कि इससे नवजात को शुरुआती 6 महीनों तक सारे जरूरी पोषक तत्व भी मिलते हैं और साथ ही इससे बच्चे को बीमारियों से लड़ने में भी मदद मिलती है। इसी वजह से ‘अमेरिकन एकैडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स’ की है कि बच्चे को 6 महीनों तक कम से कम मां का दूध जरूर पिलाना चाहिए। कई स्टडीज़ से यह बात भी सामने आई है कि ब्रेस्ट फीडिंग से बच्चे के अलावा मां की सेहत को भी कई फायदे पहुंचते हैं।

चलिए अब जानते हैं ब्रेस्ट फीडिंग के फायदे-

आपके बच्चे को कई तरह की बीमारियों से बचाता है-इस संबंध में हुई कई स्टडीज़ से यह बात साबित हो चुकी है कि स्टोमक वायरस, श्वसन संबंधी समस्याएं, कई तरह के संक्रमण उन बच्चों को कम होते हैं, जिन्हें स्तनपान कराया जाता है। बच्चे को 6 महीनों तक ठीक तरह से स्तनपान कराने पर बाद के सालों में बच्चों को कई बीमारियों से सुरक्षा प्राप्त होती हैं। जैसे- टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज़, कोलेस्ट्रॉल की बड़ी मात्रा, आंत संबंधी बीमारियां होने का खतरा घट जाता है।

बच्चों की बौद्धिक क्षमता बढ़ती है-कई रिसर्च से पता चला है कि ब्रेस्ट फीडिंग और बच्चे की बौद्धिक क्षमता का गहरा नाता होता है। कुछ नवजात शिशुओं पर एक सर्वे कराया गया था जिसमें जन्म से लेकर 6.5 साल की उम्र तक उन पर अध्ययन किया गया। इस स्टडी में पाया गया कि ब्रेस्ट फीडिंग बच्चे के बौद्धिक विकास पर गहरा असर डालती है. स्तनपान कराने से बच्चे की सूझबूझ का स्तर भी बढ़ता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, मां और बच्चे के बीच भावनात्मक संबंध मजबूत होने से जहां ब्रेन पावर बढ़ती है वहीं मां के दूध में मौजूद फैटी एसिड भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

बच्चे को मोटापे से बचाता है-स्तनपान से बच्चे को मोटापे का खतरा कम हो जाता है। 17 स्टडीज के विश्लेषण से यह बात सामने आई है कि बच्चे को स्तनपान कराने से युवावस्था में मोटापे का रिस्क कम हो जाता है। यह भी निष्कर्ष निकाला गया कि जिन बच्चों को लंबे समय तक मां का दूध पिलाया गया, उनके मोटापे से ग्रस्त होने की संभावना उतनी ही कम होती है।

नवजात की अचानक मृत्यु का खतरा कम होता है। 2009 में प्रकाशित जर्मन स्टडी के मुताबिक, स्तनपान कराने से सडेन इन्फैंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) का रिस्क कम हो जाता है। रिसर्च के मुताबिक, 1 महीने तक लगातार बच्चे को मां का दूध पिलाने से SIDS का खतरा आधा हो जाता है।

मां का तनाव घटाता है-कई स्टडीज में यह बात भी साबित हो चुकी है कि जिन मांओं ने बहुत जल्दी अपने बच्चों को स्तनपान कराना बंद कर दिया, उन्हें डिप्रेशन होने का खतरा ज्यादा था। कई महिलाओं ने ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान तनाव घटने की बात स्वीकार की। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ब्रेस्ट फीडिंग से ऑक्सीटोसिन हार्मोन निकलता है जो रिलैक्स होने और तनाव घटाने के लिए जाना जाता है।

कई तरह के कैंसर होने का खतरा कम होता है।ऐसी कई स्टडीज हुई हैं जो बताती हैं कि जितना लंबे समय तक महिलाएं स्तनपान कराती हैं, उतना ज्यादा वे ब्रेस्ट और ओवरियन कैंसर से सुरक्षा प्राप्त करती हैं।