खबरें अभी तक। राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में चल रहे युद्धाभ्यास ‘विजय प्रहार’ का बुधवार को समापन हो गया। एक अप्रैल से शुरू हुए इस युद्धाभ्यास में सेना की शक्ति कमान के 25 हजार सैनिकों ने जमीन व आसमानी युद्ध कौशल की तकनीक पर काम करते हुए परमाणु हमले से मुकाबले का अभ्यास किया।
भविष्य में युद्ध होने के हालात में रासायनिक व परमाणु हथियारों से निपटने के लिए सेना के अधिकारियों एवं जवानों ने तपते रेगिस्तान में न्यूक्लियर प्रोटेक्शन सूट पहनकर युद्धाभ्यास किया। इस दौरान एयर कैवेलरी रणनीति का पूरी तरह से इस्तेमाल किया गया। 40 दिन तक चले इस अभ्यास के दौरान अधिकारियों व जवानों ने परमाणु हथियार, कठिन पर्यावरण सहित सभी आकस्मिक परिस्थितियों में लड़ने के लिए खुद को तैयार किया है।
युद्धाभ्यास के अंतिम दिन सप्त शक्ति कमान के कमांडिंग इन चीफ ले.जनरल सहित कई वरिष्ठ अधिकारी जवानों के करतब देखने पहुंचे। जनरल मैथसन ने कहा कि इस युद्धाभ्यास के लिए कठिन मापदंड तय किए गए थे।
जवानों को परमाणु दूषित वातावरण में किसी भी प्रकार की आक्रामक कार्यवाही करने के लिए प्रशिक्षित किए गए। युद्ध के दौरान जवानों तक रसद पहुंचाने की ‘जस्ट इन टाइम’ तकनीक का इस्तेमाल करते हुए दुश्मन के इलाकों में जाकर गहराई तक जाकर मार करने का कौशल भी सैनिकों ने दिखाया।