‘एकाग्रता’ की शक्ति प्रत्येक मनुष्य में होती है गुप्त

खबरें अभी तक। इसमें कोई दोराय नहीं है कि व्यक्ति का मन बहुत चंचल होता है और इसी वजह से बहुत देर तक एक ही दिशा में गति बनाए रखना उसके लिए बहुत मुश्किल होता है। परंतु यदि कोई ऐसा करने में सफल हो जाता है तो वह व्यक्ति एकाग्र कहलाता है। देखा जाए तो ‘एकाग्रता’ की शक्ति प्रत्येक मनुष्य में गुप्त भी होती है। और सुषुप्त यानि दिखती भी है और नहीं भी है। जो व्यक्ति इस शक्ति को अनुभव कर लेता है वह महान उपलब्धियां प्राप्त कर लेता है। इसीलिए कहा जाता है यह मानव की निजी शक्ति है एवं उसके अन्तर्मन का सामर्थ्य है और इसलिए इसका महत्त्व तभी से है जब से मानव है।

प्राचीन काल में ऋषि-मुनि इसी शक्ति से अनेक प्रकार के संताप नाश करते थे। इसी प्रकार से एकाग्रता के आधार पर भूत, भविष्य की बातें भी बताई जाती हैं। क्योंकि स्थिरता से स्पष्टता आती है। जैसे समुद्र के पानी में स्थिरता है तभी तो परछाई दिखाई देती है, उसी प्रकार से मन रूपी सागर में विचारों की स्थिरता होने से बुद्धि सभी कुछ देखने-जानने में सक्षम हो जाती है।

एकाग्रता अर्थात एक+अग्रता अर्थात एक के आगे रहना। किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अन्य बातों पर ध्यान न लगाते हुए एक ही चीज़ पर ध्यान केंद्रित करना। सांसारिक जीवन में भी एक से जुड़े रहने का बड़ा महत्त्व है। इसीलिए देखा जाता है कि बार-बार अपना लक्ष्य को बदलने वाले लोगों के प्रति इतना सम्मान भाव नहीं रहता और ऐसे व्यक्ति को स्थिर और विश्वसनीय भी नहीं माना जाता है। एक से संबंध जोड़े रखना एवं एकाग्र होना हमें सम्मान प्राप्ति का हकदार बनाता है।

एकाग्रता सिद्धि का सर्वोत्तम उपाय है यह मन को व्यर्थ की उलझनों एवं समस्याओं से दूर रखना है। कुछ लोग घर, परिवार, मुहल्ले, समाज, देश आदि की व्यर्थ बातों में ही अपनी शक्ति गवां देते हैं। ऐसी बातों में उलझने की वृत्ति निरर्थक उत्सुकता की वृत्ति कही जाती है। यह निरर्थक उत्सुकता की वृत्ति ही हमारी विचारधारा को संकीर्ण बनाती है और इसमें उलझने से मन अस्त-व्यस्त, छिन्न-भिन्न और चंचल बना रहता है।