दिल्ली में आज रात से बढ़ सकता है पानी का संकट

खबरें अभी तक। दरअसल पानी पर दिल्ली व पड़ोसी राज्य हरियाणा के बीच फंसे पेंच की असली वजह हिस्सेदारी को लेकर है। हरियाणा अतिरिक्त कहकर जितना पानी आपूर्ति कर रहा है, दिल्ली उसे अपनी हिस्सेदारी बता रही है। दिक्कत यह है कि अपर यमुना रिवर बोर्ड में भी दिल्ली जल बोर्ड को झटका लगा है। पिछले दिनों रिवर बोर्ड में हुई पहली बैठक में बोर्ड ने भी माना है कि हरियाणा दिल्ली को अतिरिक्त पानी आपूर्ति कर रहा है। साथ ही बताया जा रहा है कि हरियाणा को अतिरिक्त पानी आपूर्ति जारी रखने का निर्देश भी दिया गया पर जल बोर्ड ने इस पर आपत्ति जाहिर की है।

पानी को लेकर विवाद 

उल्लेखनीय है कि इस साल की शु्रुआत से ही दोनों राज्यों के बीच पानी के मामले पर विवाद चल रहा है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने मामले को अपर यमुना रिवर बोर्ड में निपटने का निर्देश दिया था। इस क्रम में जल बोर्ड ने यमुना अपर रिवर बोर्ड के समक्ष इस मामले को रखा था। इसके अलावा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि हरियाणा वर्ष 1996 से दिल्ली को 1133 क्यूसेक पानी देता रहा है। लेकिन, अब हरियाणा इस पर सवाल खड़े कर रहा है। केजरीवाल दिल्ली के उपराज्यपाल और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भी पत्र लिख चुके हैं।

पीएम से हस्तक्षेप करने की मांग

हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट में 21 मई तक 1133 क्यूसेक पानी आपूर्ति करने की बात कही है। इसके बाद वह पानी आपूर्ति कम कर सकता है। यह आशंका जाहिर करते हुए दिल्ली सरकार ने मामले पर प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की है।

अपर यमुना रिवर बोर्ड की बैठक से दिल्ली को उम्मीदें

जल बोर्ड के अधिकारी के अनुसार यद्यपि हरियाणा ने 21 मई के बाद पानी आपूर्ति कम करने का कोई अल्टीमेटम नहीं दिया है, लेकिन वह पानी आपूर्ति कम कर सकता है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार अपर यमुना रिवर बोर्ड में इस मामले को रखा गया। बोर्ड में इस मामले पर बैठक भी हुई पर बोर्ड का रूख जल बोर्ड की उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा। इसलिए जल बोर्ड इस मामले का दोबारा अपर यमुना रिवर बोर्ड के समक्ष उठाएगा। उम्मीद है कि  इस मामले पर अपर यमुना रिवर बोर्ड में दोबारा बैठक हो सकती है।