संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट का दावा 2016 में वायु प्रदुषण से 42 लाख लोगों की हुई मौत

ख़बरें अभी तक। संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट में दावा किया है कि वर्ष 2016 में वायु प्रदुषण के उच्च स्तर के कारण विश्वभर में 42 लाख लोगों की मौत हुई है. न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में वर्ष 2018 की सतत विकास लक्ष्यों की रिपोर्ट लॉन्च की. इस रिपोर्ट में वर्ष 2016 की समास्याओं के बारे में बताया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2016 में 91 प्रतिशत लोग जिस हवा में सांस ले रहे थे, उसकी गुणवता विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों पर खरी नहीं उतरी.

रिपोर्ट के अनुसार 95 प्रतिशत आबादी दूषित हवा में सासं लेने को मजबूर है और वैश्विक स्तर पर होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत चीन और भारत उतरदायी है. चीन में वायु प्रदुषण कम करने के प्रयास किए गए, लेकिन भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में वायु प्रदुषण के स्तर में लगातार वृद्धि हुई. वर्ष 2000 और 2014 के बीच झुग्गियों में रहने वाली वैश्विक शहरी आबादी का अनुपात 28.4 प्रतिशत से घटकर 22.8 प्रतिशत हो गया, लेकिन झुग्गियों में रहने वाले लोगों की वास्तविक संख्या 80.7 करोड़ से बढ़कर 88.3 करोड़ हो गई.

वहीं वायु प्रदुषण का कारण तेजी से हो रहा शहरीकरण भी बताया जा रहा है, जिसके चलते शहरों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इससे पहले यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि वायु प्रदुषण के संकट से लाखों भारतीय बच्चे प्रभावित हो रहे है. रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण एशिया में वायु प्रदुषण के कारण एक साल से कम उम्र के करीब 1.22 करोड़ बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि प्रदुषणकारी तत्वों से दिमाग के ऊतक क्षतिग्रस्त हो सकते है और संज्ञानात्मक विकास कनतर हो सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रदुषण मापने के लिए पीएम स्तर 2.5 को मानक बनाया है जिसके आधार पर विश्व भर में वायु प्रदुषण का स्तर तय किया जाता है. पीएम 2.5 हवा में फैले अति सुक्ष्म खतरनाक कण है. 2.5 माइक्रो से छोटे इन कणों को पर्टिकुलेट मैटर 2.5 या पीएम 2.5 कहा जाता है. प्रत्येक क्यूबिक मीटर हवा में पीएम 2.5 कणों के स्तर के आधार पर प्रदुषण का आकलन किया जाता है. लंबे समय तक पीएम 205 के संपर्क में रहने से फेफड़े के कैंसर, हृदयघात और हृदय से जुड़ी अन्य बीमारियों के होने का खतरा रहता है. हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 20 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होनी चाहिए. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टस के अनुसार , वायु प्रदुषण से प्रत्येक वर्ष विश्व में 70 लाख लोगों की असमय मृत्यु होती है, इसमें लगभग तीन लाख मौतें बाहरी वायु प्रदुषण के कारण होती है.