समलैंगिकता ‘अपराध या नहीं’ पर सुनवाई

खबरें अभी तक। सुप्रीम कोर्ट में आज से पांच जजों की संविधान पीठ समलैंगिक यौन संबंधों के मुद्दे सहित चार अहम मामलों पर सुनवाई शुरू करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में समलैंगिकों के बीच यौन संबंधों को अपराध घोषित कर दिया था. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं और जब उन्हें भी खारिज कर दिया गया तो प्रभावित पक्षों ने सुधारात्मक याचिका दायर की ताकि मूल फैसले का फिर से परीक्षण हो.

सुधारात्मक याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान मांग की गई कि खुली अदालत में इस मामले पर सुनवाई की मंजूरी दी जानी चाहिए और कोर्ट जब इस पर राजी हुआ तो कई रिट याचिकाएं दायर कर मांग की गई की धारा 377 को अपराध की श्रेणी से बाहर किया जाए. पांच सदस्यीय संविधान पीठ की अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा करेंगे और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा इसके सदस्य होंगे.