चांद तारे वाले झंडे का मामला, उलेमाओं ने दी प्रतिक्रिया

खबरें अभी तक। वसीम रिजवी द्धारा हरे रंग के चाँद तारे वाले झंडे को इस्लामिक झण्डा न बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई पी आई ए एल पर देवबंदी उलेमाओ का कहना है की अगर ये झंडा पाकिस्तान को बढावा देने की नीयत से है तो हम इसका विरोध करते है हमने कभी चाँद तारे के न कायल रहे है हम कभी हरे झंडे के कायल रहे।

बस इसमें में यही कहना चाहूंगा कि कुराने पाक यूं कहता है जब जाहिल तारीख इंसानियत से नावाकिफ लोग तुम्हें बार-बार छेड़ने की कोशिश तुमसे मिलने की कोशिश करें तो उन्हें इग्नोर करना शुरू कर दो हमारे यहां की सरकार को भी हमारे यहां की जनता को भी मे यही कहता हूं ओर मीडिया को भी ऐसे इंसान से अपने आप को जो है बचना चाहिए उसके बयान को अहमियत देना है उस पर टिप्पणी तलाश करना ये उसकी अहमियत को और बढ़ावा देना है.

जिस आदमी को यह नहीं पता न हो हमारा कोई झंडा नहीं है हमारा झंडा तो अल्लाह है हम कभी चांद तारे के कायल रहे न कभी हरे झंडे के कायल रहे हमतो मुल्कों का सफर करते हैं मेरे पास मौजूद है मैंने मिस्र में खाना खाया मुल्क मिश्र का था लेकिन मेरी टेबल पर हिंदुस्तान का झंडा लगा हुआ था तो वसीम रिजवी को जैसे न हण्जार को क्या पता है कि ये मुल्लाय इस मुल्क में कितने हामी हैं और इंसानियत और कितने इंसान और मोहब्बत के हामी लोग हैं जिस तरह जिस बात को उन्होंने कहा है उस बात पर सुप्रीम कोर्ट में जाने की ही जरूरत नहीं थी इसलिए की सुप्रीम कोर्ट की बात ही नहीं है, न हमारी किसी तंजीम का झंडा है न हमारे किसी मदरसे का ये झंडा है न मुसलमान इसे हिंदुस्तान में इस्तेमाल करते हैं

देखिए सबसे पहली बात तो ये है कि आमाल का दारोबदार नियत पर होता है अब बनाने वाले पर ये जो झंडा अपनी अपनी तंजीम का अपनी अपनी पार्टी का उसकी नियत क्या है अब एक तो नियत ये है कि हमारी निशान हमारी पहचान रहे एक ये है कि हम पाकिस्तान का समर्थन करें अगर पाकिस्तान को बढ़ावा देने की नियत से है तो हम इसका विरोध करते हैं और अगर उसका पाकिस्तान से कोई ताल्लुक नहीं है ये ऐसे ही है तो इसमें कोई बहस नहीं है कि किस मुल्क का झंडा कैसा है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता