ट्रक ऑपरेटर्स की हड़ताल, कारोबारियों को हुई परेशानी

खबरें अभी तक। शुक्रवार को ट्रकों के पहिए थम जाने से हिमाचल प्रदेश में उद्योपतियों और सीमेंट फैक्टरियों को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। प्रदेश में स्थापित उद्योगों के लिए बाहर से रॉ मटीरियल लाने का काम ट्रकों के माध्यम से किया जाता है। वहीं यहां तैयार सामान को भेजने का काम  से होता है। अखिल भारतीय स्तर पर हुई ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल के चलते यहां उद्योग धंधों को बड़ा नुकसान हुआ है। प्रदेश में सेब और सब्जियों की ढुलाई पर ट्रकों की हड़ताल का कोई असर नहीं हुआ और मंडियों से फल और सब्जियों की सप्लाई का जारी रहा।

हिमाचल में करीब 90 हजार ट्रक हैं, जिसमें से अकेले बद्दी-बरोटीवाला और नालागढ़ इंडस्ट्रियल एरिया में ही 10 हजार से अधिक ट्रक दौड़ते हैं। यह मामला सीधे रूप से केंद्र सरकार से जुड़ा है, लिहाजा प्रदेश सरकार इसमें कुछ नहीं कर सकती। परिवहन विभाग ने आधारभूत सुविधाओं की सप्लाई को लेकर चर्चा की, जिसमें बताया गया है कि विभिन्न मंडियों में फल और सब्जियां उतरीं भी और वहां से सप्लाई भी हुई हैं, जिसमें किसी तरह की बाधा नहीं आई। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने हड़ताल का आह्वान किया था, जिनके आह्वान पर यहां भी ट्रक ऑपरेटरों ने ट्रकों के पहिए रोक दिए।

केंद्र सरकार की ट्रक ऑपरेटरों के प्रति नकारात्मक नीतियों के विरोध में यह हड़ताल थी। इससे पूर्व भी इस तरह की सांकेतिक हड़ताल की जा चुकी है, मगर ऑपरेटरों के मसले हल नहीं हो पाए हैं। इनकी मांग है कि डीजल के दाम को जीएसटी के दायरे में लाया जाए, वहीं माल ढुलाई का दाम तय किया जाए क्योंकि कंपनियां इसमें मनमर्जी कर रही हैं। साथ ही उन टोल बैरियरों को बंद करने की मांग की जा रही है, जिनका सरकार के साथ करार खत्म हो चुका है।