अलवर मॉब लिंचिंग: पुलिस की लापरवाही ने ले ली पीड़ित युवक जान

खबरें अभी तक। गोरक्षा के नाम पर अलवर में भीड़ ने युवक की पीट-पीट कर जान ले ली। इस मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है। भीड़ की हिंसा दिनों दिन डरा रही है और अगर इस हिंसा में पुलिस की लापरवाही भी शामिल हो जाए तो ये और ख़तरनाक हो जाती है। अलवर में गो तस्करी के शक में एक शख़्स की पिटाई से मौत के मामले में पुलिस की भूमिका पर उठते सवाल के बीच मामले की जांच सीनियर अफ़सर को सौंप दी गई है। एडिशनल एसपी क्राइम और विजिलेंस के एडिशनल एसपी अब इस मामले की जांच करेंगे यानी स्थानीय पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में आने के बाद स्थानीय पुलिस के हाथ से जांच छीन ली गई है।

आईजी के मुताबिक, इस पहलू की भी जांच की जाएगी कि आख़िर पुलिस ने रकबर को अस्पताल ले जाने में इतनी देर क्यों कर दी? दरअसल शुक्रवार और शनिवार की रात गो तस्करी के शक में रकबर और असलम की भीड़ ने पिटाई कर दी थी। असलम भाग निकला, लेकिन रकबर पिटता रहा। पुलिस मौक़े पर पहुंची, लेकिन रकबर को अस्पताल ले जाने की जगह ढाई घंटे से ज़्यादा समय तक यहां-वहां घुमाती रही, फिर थाने ले गई।

घायल रकबर लगातार कहता रहा कि वो दर्द में है लेकिन पुलिस उसे तुरंत अस्पताल न ले जाकर पहले गाय के लिए गाड़ी का इंतज़ाम करने में लगी रही। यही नहीं रास्ते में गाड़ी रोक कर चाय पी और फिर अस्पताल ले जाने की जगह थाने ले गई। जब पुलिस रकबर को लेकर अस्पताल पहुंची तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। इस बीच पुलिस थाने में रकबर के साथ क्या हुआ इस पर पर्दा अभी नहीं उठा है, लेकिन अब आरोप लग रहा है कि थाने में जो हुआ उसकी वजह से रकबर की जान गई।  इस मामले में एक चश्मदीद का कहना है कि गाड़ी में पुलिस रकबर को पीट रही थी, गालियां दे रही थी। इस बीच पुलिस ने अब तक तीन लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है। इन सभी पर हत्या का मामला दर्ज हुआ है। कोर्ट ने तीनों को 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। मृतक रकबर का परिवार आरोपी पुलिसवालों पर कार्रवाई की मांग कर रहा है।