जानिए लॉ यानी कानून के क्षेत्र में कैसे बनाए अपना कॅरिअर

ख़बरें अभी तक। आजकल बहुत से कोर्स करके आप अपने कॅरिअर की शुरुआत कर सकते है. वहीं करियर को लेकर हम आपको बताएंगे कि लॉ यानी कानून के क्षेत्र में भी आप अपना करियर कैसे बना सकते है, बता दें कि कानून के क्षेत्र में कॅरिअर का स्कोप अब केवल अदालत तक सीमित नहीं रह गया है. यह अब पहले से कहीं ज्यादा व्यापक हो गया है जहां दूसरे क्षेत्रों में भी लॉ ग्रेजुएट्स के लिए ढेरों विकल्प खुल चुके है. इस डिग्री के साथ आप देश-विदेश की मल्टीनेशनल कंपनियों, निजी कंपनियों, बैंकों, अदालतों, सरकारी विभागों, सोशल वर्क आदि में कानूनी सलाहकार (लीगल एडवाइजर), ज्यूडिशियल ऑफिसर, लॉ ऑफिसर के अलावा कम्प्यूटर फोरेंसिक व पर्यावरण एक्सपर्ट बन सकते है.

जो युवा ग्रेजुएट्स में अपना दायरा बढ़ाना चाहते हैं, वे एलएलबी के बाद कंपनी सेक्रेटरी और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन जैसे कोर्सेज भी कर सकते है. साथ ही लॉ में अगर एक सफल कॅरिअर की नींव रखना चाहते हैं तो मजबूत कम्यूनिकेशन, लॉजिकल रीजनिंग और एनालिटिकल स्किल्स के साथ पढ़ने और याद रखने की काबिलियत होना भी जरूरी है.

अब हम आपको लॉ एडमिशन की प्रक्रिया के बारे में बताएंगे

1.लॉ कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए आपको एंट्रेंस एग्जाम पास करना होगा. देश के ज्यादातर नेशनल लॉ स्कूल्स में दाखिले के लिए कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट यानी क्लैट आयोजित किया जाता है.

2. इसके अलावा नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली के लिए एआईएलईटी, आईआईटी खड़गपुर लॉ स्कूल, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी, एमिटी लॉ स्कूल आदि में एडमिशन के लिए एलसैट एग्जाम लिया जाता है.

बता दें कि ग्रेजुएशन के स्तर पर लॉ के लिए दो तरह के कोर्स उपलब्ध है. पहला है इंटीग्रेटेड 5 ईयर ग्रेजुएट डिग्री जहां आपको बीए, बीएससी, बीकॉम और बीबीए जैसे दूसरे विषयों के साथ लॉ की डिग्री हासिल करने का मौका मिलता है.  इनमें से किसी एक का चयन आप अपने इंट्रेस्ट और 12वीं की स्ट्रीम के आधार पर कर सकते है. दूसरा कोर्स है तीन वर्षीय लॉ डिग्री जिसमें आप किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएशन के बाद एडमिशन ले सकते है. इसके बाद कॉलेज के अंतिम वर्ष में आपको कॉर्पोरेट लॉ, इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉ, क्रिमिनल लॉ जैसे स्पेशलाइजेशन्स में से किसी एक को चुनना होता है. ग्रेजुएशन के बाद आप एलएलएम या यानी लॉ में मास्टर्स और फिर एलएलडी यानी पीएचडी भी कर सकते है.

लॉ ग्रेजुएट्स के लिए ज्यूडिशियल सेवा परीक्षा होती है, जिसे पास करके सिविल जज बन सकते है. इसके अलावा वकीलों को उनके अनुभव के आधार पर यूपीएससी की ओर से केंद्रीय सेवाओं में लॉ ऑफिसर, लीगल-डिप्टी एडवाइजर आदि पदों पर नियुक्ति दी जाती है. दूसरी तरफ राज्यों में पुलिस, राजस्व एवं न्यायिक विभागों में भी वकील नियुक्त किए जाते है. ज्यूडिशियल सेवा परीक्षा में सफल कैंडिडेट्स को अधीनस्थ न्यायालयों में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सब-मजिस्ट्रेट, एडवोकेट जनरल, नोटरी एवं शपथ पत्र आयुक्त के पद पर नियुक्ति मिलती है.

कई बड़े कॉर्पोरेट हाउसेज और कंपनियों के बीच मर्जर, डी-मर्जर, एक्विजिशन, विवाद सुलझाने के लिए वकीलों व लीगल एडवाइजर्स की मदद ली जाती है. नामी डेवलपर और बिल्डर भी प्रॉपर्टी कारोबार से जुड़े वकीलों व लीगल एडवाइजरों की सेवाएं लेते है. इसके अलावा अच्छी कंपनियों में भी कंपनी सेक्रेटरी और लॉ रिपोर्ट राइटर के विकल्प भी मौजूद होते है.

एलएलबी के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया की परीक्षा पास करके कोर्ट में प्रैक्टिस करने का अधिकार मिलता है. एक काबिल वकील बनने के लिए कानून की नॉलेज, मजबूत दलील व तर्क शक्ति के साथ सबूत खोजने की क्षमता होनी चाहिए. वे आपराधिक, सिविल व कॉमर्शियल केसों में क्लाइंट्स की पैरवी करते है.

जो लॉ ग्रेजुएट्स देश-विदेश की ताजा घटनाओं और राजनीति के बारे में लिखने-पढ़ने में गहरी रुचि रखते हैं, उनके लिए महत्वपूर्ण कानूनी विषयों पर किताबें लिखने और लीगल जर्नलिज्म में अच्छा स्कोप है. एकेडमिक सोच रखने वाले लॉ ग्रेजुएट्स हाई कोर्ट-सुप्रीम कोर्ट की लाइब्रेरी में लॉ की स्टडी कर सकते है और सीनियर वकीलों से लॉ के इतिहास, बदलावों और तुलनात्मक अध्ययन पर सलाह भी ले सकते है.

वहीं आपको ये भी बता दें कि आजकल बिजनेस प्रतिस्पर्धा में इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स की अहमियत इतनी बढ़ गई है कि इससे जुड़े कानून विशेषज्ञों की भारी मांग रहती है. किसी नई रिसर्च से बने नए उत्पाद पर एकाधिकार देने के लिए पेटेंट व कॉपीराइट कानून है. अगर कोई भी इस कानून का उल्लंघन करता है तो अदालती लड़ाई लड़ने के लिए वकीलों की जरूरत होती है.

वहीं प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री और इंग्लिश भाषा पर मजबूत पकड़ के साथ अंतरराष्ट्रीय घटनाओं में रुचि लेने वाले इंटनेशनल लॉ में कॅरिअर बना सकते है. इसके तहत अलग-अलग देशों के आपसी मसलों या विवादों (व्यापार, प्रत्यर्पण, नागरिकता आदि) को कानून के जरिए सुलझाने की जिम्मेदारी निभानी होती है. कई मामलों को अंतरराष्ट्रीय ऑर्बिट्रेशन में सुलझाया जाता है, जिसमें लॉ ग्रेजुएट्स को पैरवी करने का मौका मिल सकता है.