लखीमपुर खीरी में कान्हा की नटखट परंपरा को बरकरार रखते हुए दही हांडी फोड़कर मनाया गया जन्माष्टमी उत्सव

खबरें अभी तक। पूरे देश के साथ खीरी में भी जन्माष्टमी की धूम मची रही। और सभी लोगों ने हर्ष और उल्लास के साथ नटखट कान्हा का जन्मदिन मनाया। हर गली मोहल्के में,  यशोदा का नंद लाला,  बड़ा नटखट है कृष्णा कन्या,  सब बोलेंगे हैप्पी  बर्डे टू यू जैसे गीतों की गूंज मची रही। कहीं केक काटकर तो कहीं पालकी सजाकर और कहीं तो कान्हा की नटखट परंपरा को बरकरार रखते हुए दही हांडी तोड़कर जन्माष्टमी का पावन पर्व मनाया गया।

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लखीमपुर खीरी:-

लखीमपुर खीरी के सेठ घाट रोड निकट प्रिंस मोबाइल गैलरी के पास अर्जुन पुरवा वार्ड नंबर 8 के सभासद सुनील  कश्यप हर साल की तरह इस साल भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हंडी फोड़ने का कार्यक्रम रखा। जिसमें मोहहले के छोरे दूर टंगी दही मटकी फोड़कर कृष्णलीला दिखाई।

क्या है दही मटकी की परंपरा

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दरअसल, श्रीकृष्ण के माखन चोरी करने के डर से वृन्दावन में महिलाओं ने मथे हुए माखन की मटकी को काफी ऊंचाई पर लटकाना शुरू कर दिया। ताकि श्रीकृष्ण का हाथ उस मटकी तक न पहुंचे। लेकिन श्रीकृष्ण ने अपनी समझदारी दिखाई और माखन चोरी करने के लिए योजना बनाई। माखन चुराने के लिए श्रीकृष्ण ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक पिरामिड बनाया और जमीन से काफी ऊंचाई पर लटकाई गई मटकी से दही और माखन को चुरा लिया। बस, वहीं से प्रेरित होकर दही हांडी का उत्सव मनाया जाने लगा। दही हांडी के उत्सव के दौरान जो लड़का सबसे ऊपर खड़ा होता है उसे गोविंदा कहा जाता है। वहीं समूह के बाकि लड़कों को हांडी या मंडल कहा जाता है।