कोर्ट ने कहा तलाक होने के बाद नहीं दर्ज करा सकते दहेज का केस

ख़बरें अभी तक। सुप्रीम कोर्ट ने एक केस पर फैसले देते हुए कहा कि तलाक होने के बाद किसी भी शख्स या उसके परिजनों के खिलाफ दहेज का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता. भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498A या दहेज निषेध अधिनियम के किसी भी प्रावधान के तहत, दंपति के अलग होने के बाद अभियोजन टिकाऊ नहीं रहेगा. दहेज के प्रावधानों के तहत जुर्माने के साथ अधिक से अधिक 5 साल जेल का प्रावधान है.

इसके बाद पीठ ने कहा कि जब किसी मामले में तलाक हो चुका हो तो वहां धारा 489ए नहीं लागू हो सकता है. इसी तरह से दहेज निषेध अधिनियम 1961 की धारा 3/4 के तहत भी मामला दर्ज नहीं हो सकता.

अदालत ने यह बात एक मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट की जब एक शख्स और उसके परिजन पीठ के समक्ष पहुंचे थे कि धारा 498ए और दहेज निषेध अधिनियम के तहत उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया जाए. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने साल 2016 में उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में दर्ज एफआईआर को  रद्द करने के लिए दायर की गई उनकी याचिका खारिज कर दी थी.