शिमला IGMC में स्क्रब टाइफस से एक बच्चे की मौत, जानिए कैसे होती है ये बीमारी

ख़बरें अभी तक। आईजीएमसी में प्रदेश भर से 1 हजार लोग स्क्रब टाइफस के टेस्ट करवा चुके हैं, जबकि 130 के करीब लोग स्क्रब टाइफस की चपेट में आ चुके हैं. बरसात के दिनों में उगने वाली घास में पाए जाने वाले पीसू से स्क्रब टाइफस अधिक फैलता है, जिससे मरीज की मौत तक हो जाती है. ऐसे में चिकित्सकों द्वारा भी लोगों को तर्क दिया जा रहा है कि इस बीमारी से बचने के लिए सावधानी बरतनी होगी. स्क्रब टाइफस के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रशासन भी अलर्ट हो गया है. आईजीएमसी प्रशासन ने स्क्रब पीड़ितों के लिए आइसोलेशन वार्ड तैयार किया है जिसमें पिड़ित मरीजों का उपचार हो रहा है.

हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया है कि स्क्रब टाइफस की स्थिति पर पूरी नजर रखी जा रही है, लेकिन महज नजर रखने से इस बीमारी पर काबू पाना मुश्किल है. स्क्रब टाइफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है जो खेतों झाड़ियों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है. ये जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है. जिससे मरीज को तेज बुखार 104 से 105 तक आ सकता है. जोड़ो में दर्द और कपकपी के साथ बुखार, शरीर में ऐठन-अकड़न होना इसके लक्षण है.

इस बीमारी से बचने के लिए सफाई का विशेष ध्यान रखें, घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें. घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें. मरीजों को डॉक्सीसाइक्लिन और एजिथ्रोमाइसिन दवा दी जाती है. स्क्रब टाइफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है. यही कारण है कि मरीज की मौत हो जाती है.