खेल कोर्ट के बाद कानूनी कोर्ट में लड़ी लड़ाई, दो साल के बाद मिला अर्जुन अवार्ड

ख़बरें अभी तक। देश के लिए मेडल लाने वाले खिलाड़ी अकसर सरकार की नीतियों की मार झेलते है. विश्व चैंपियन पैरा एथलीट राजकुमार के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ. राजकुमार ने अपना हक़ अर्जुन अवॉर्ड पाने के लिए लड़ाई लड़ी है. लेकिन वे इस लड़ाई को जीतकर खुश नहीं बल्कि दुखी नजर आए, क्योंकि ये अवॉर्ड उन्हें किसी समारोह में हजारों लोगों की भीड़ के सामने नहीं, बल्कि एक बंद कमरे मिला, जिसे पाने के लिए राजकुमार ने दो साल तक कोर्ट के चक्कर लगाए।

चैंपियन राजकुमार ने बताय़ा कि बचपन में अपने टूटे हाथों के कारण सबसे सुनना पड़ता था. लेकिन हौसले के साथ देश को पैरा बैडमिंटन में तीन बार विश्व चैंपियन बनाया। एशियाई खेल में देश को मेडल दिलाए, लेकिन हकदार होने के बाद भी 2016 और 2017 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड नहीं दिया गया। सोनीपत में एशियाई खेलों की तैयारी में जुटे राजकुमार ने बताया कि अर्जुन अवॉर्ड के लिए मेरे सबसे ज्यादा अंक थे, लेकिन मुझे नहीं दिया।

इस मामाले में खेल अधिकारी से लेकर खेल मंत्री तक से अपील की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। मजबूरी में दिल्ली हाईकोर्ट गए। राजकुमार ने कहा कि विपक्षी खिलाड़ियों को शिकस्त देने में इतनी तकलीफ नहीं हुई जितनी खेल विभाग व कोर्ट से झेलनी पड़ी। मुझे तोड़ने की कोशिश हुई, लेकिन कभी हार नहीं मानी। इसे भी अपने करियर की एक बड़ी प्रतियोगिता के रूप में लड़ते रहे और 2016 के अवॉर्ड को 2018 में हासिल कर लिया।