ASI ने कोहिनूर हीरे को लेकर किया बड़ा खुलासा

खबरें अभी तक। बेशकीमती कोहिनूर हीरे को न तो किसी ने चोरी किया और न ही इसे किसी को तोहफे में दिया गया था बल्कि लाहौर के महाराजा दलीप सिंह ने दबाव में आकर हीरे को इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया को दे दिया था। ऐसा जवाब भारत के ASI का है। बता दें रोहित सबरवाल नाम के शख्स ने RTI डालकर सवाल किया था की अंग्रेजों के पास कोहिनूर हीरा क्यों और कैसे पहुंचा, इसी के जवाब में ASI ने कहा कि हीरा न तो चोरी हुआ था और न ही इसे उहपार के रूप में दिया गया था।

ASI का यह जवाब अब घेरे में आ गया है। अप्रैल 2016 को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि महाराजा रंजीत सिंह के बेटे ने एंग्लो-सिख युद्ध के खर्चे के कवर के रूप में ‘स्वैच्छिक मुआवजे’ के रूप में अंग्रेजों को कोहिनूर भेंट किया था। केंद्र ने कोर्ट में कहा था कि बेशकीमती हीरा कोहिनूर न तो अंग्रेजों ने चुराया था न ही लूटा था बल्कि इसे महाराजा रंजीत सिंह के उत्तराधिकारी ने ईस्ट इंडिया कंपनी को भेंट में दिया था।  जो उस समय पंजाब में शासन कर रहे थे। वहीं ASI का कहना है कि ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोहिनूर को महाराजा से जबरन लिया था। वह भी तब जब महाराजा दलीप सिंह मात्र 9 साल के थे।

जिस समय महाराजा दलीप सिंह ने लॉर्ड डलहौजी से लाहौर संधि की उस समय वे सिर्फ 9 साल के थे। इसलिए जब कोहिनूर अंग्रेजों के पास गया दलीप सिंह नाबालिग थे।