शिमला-कालका ट्रैक पर दौड़ा 113 साल पुराना स्टीम इंजन

ख़बरें अभी तक। शिमला कालका वर्ल्ड हेरिटेज ट्रेक पर 113 साल पुराना ‘स्टीम लोकोमोटिव इंजन’ बुधवार को विदेशी पर्यटकों के लिए छुक छुक कर दौड़ा। शिमला से कैथली घाट तक की हसीन वादियों का पर्यटकों ने खूब आनंद उठाया। इस भाप इंजन ने शिमला से कैथलीघाट तक 22किलोमीटर की दूरी तय की। विश्व धरोहर कालका-शिमला रेल मार्ग सौ साल से भी अधिक पुराना ट्रैक है।  इस मार्ग को वर्ष 2008 में यूनेस्को ने तीसरी रेल लाइन के रूप में विश्व धरोहर में शामिल किया था।  इस इंजन का वजन 41 टन का है। जिसकी क्षमता 80 टन खींचने की है।

देवदार के हरे भरे पेड़ो के बीच चले इस इंजन ने दो बोगियां खींची। धुएं का गुब्बार छोड़ते हुए स्टीम इंजन के साथ विदेश मेहमानों ने भी सफर का आनंद लिया। इंग्लैंड के पर्यटकों ने भाप इंजन पर सफ़र के दौरान अपनी  खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शिमला का मौसम दिल्ली के मुकावले काफी हरा भरा है।

विदेशी पर्यटकों के ट्रेवलर एजेंट ने बतया कि वे हर साल विदेशी  पर्यटकों के लिए स्टीम इंजन बुक करवाते है। इस बार भी उन्होंने इंग्लैंड के पर्यटकों जो ब्रिटिशो के बनाये ट्रैक को देखना चाहते है उनके लिए इंजन की बुकिंग की है। विदेशी पर्यटक इस सफ़र को बहुत पसंद कर रहे है।

स्टेशन मास्टर प्रिंस सेठी ने कहा की स्टीम इंजन के साथ 14-14 सीटों वाले दो कोच लगा कर स्टीम इंजन को शिमला रेलवे स्टेशन से रवाना किया गया है। आईआरसीटीसी की ओर से स्टीम इंजन की बुकिंग करवाई गई थी । जिसमे विदेशी पर्यटकों के दल को शिमला से कैथलीघाट तक का सफ़र करवाया जायेगा। विदेशी पर्यटकों के लिए सफ़र काफी आकर्षक होगा।

बता दें कि शिमला-कालका रेल लाइन को यूनेस्कों की ओर से विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया है. इसके अलावा, हमारे देश में रेलवे और नीलगिरि रेलवे को भी विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त है।  साल 1903 में बिछाई गई 96 किलोमीटर कालका-शिमला रेललाइन में 102 सुरंगें, 800 पुल और 18 रेलवे स्टेशन हैं।

समुद्र तल से ट्रैक की ऊंचाई 2800 फीट से लेकर 7 हजार फीट है। जानकारी के अनुसार 108 साल पुराना केसी 520 स्टीम लोकोमोटिव इंजन साल 1905 में अंग्रेजों ने शिमला से कैथलीघाट के बीच चलाया था। साल 2001 में दोबारा इसे तैयार किया गया और ट्रैक पर चलाया गया।