कार्तिक मास, भारतीय संस्कृति के धर्म और कर्म का परिचायक ….

 खबरें अभी तक । आखिर क्यों खास है कार्तिक का महीना, साल भर के त्योहार लेकर आता है कार्तिक का महीना तो ये खाय क्यों ना हो। इस महीने में कई देवी देवताओं की पूजा की मान्यता है। श्री राम, माता गंगा, श्री कृष्ण और माता तुलसी की पूजा मुख्य रुप से इस महीने में की जाती है।

ये मास कई सारे त्योहार लेकर आता है। करवा चौथ, अहोई अष्टमी, दीवाली, देवउठानी एकादशी , गोवर्धन पूजा और भैया दूज जैसे बड़े त्योहार इसी महीने में मनाए जाते है। देश के कई स्थानों पर गंगा स्नान किया जाता है, ये स्नान गंगा तट पर जाकर नहीं बल्कि सुबह पौ फटने से पहले किया जाता है। घर में, सरोवर में , कुएं पर या फिर किसी भी मंदिर में ठंडे पानी से स्नान करके भगवान राम की आराधना करके गंगा स्नान की प्रक्रिया पूरी की जाती है, गंगा स्नान को कार्तिक स्नान भी कहा जाता है…

कार्तिक स्नान कार्तिक की पूर्णिमा को संपन्न किया जाता है। इस पूर्णिमा के दिन जो व्यक्ति गंगा स्नान करते हैं उनको आस पास के तीर्थ में स्नान कर कुंवारी कन्याओं का पूजन करना पड़ता है। ये रीत आज भी बरसों पहले की तरह यूं ही कायम है। बनारस, काशी, हरिद्वार और जमुना घाट पर इस पूर्णिमा के दिन काफी भीड़ देखी जा सकती है।

इस मास में आने वाली एकादशी का महत्व भी खास माना जाता है क्योंकी इसी एकादशी के दिन भगवान कृष्ण का विवाह हुआ था। मान्यताओं के अनुसार कार्तिक की एकादशी को विवाह करना भी शुभ माना जाता है। देश के कई हिस्सों में इसी दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है।

संक्षेप में ये कहा जा सकता है की ये कार्तिक मास साल भर के सभी मासों में से श्रेष्ठ है, जिसमें भारतीय संस्कृति के कर्म और धर्म हैं।