दिवाली त्योहार परंपराओं की अनेकता में एकता का उदाहरण…

खबरें अभी तक। दिवाली त्योहार भारत का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। इस त्योहार को पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जाता है। बात देश के अलग-अलग हिस्सों की करें तो हर हिस्से  में दिवाली को अलग मान्यताओं और परंपराओं के आधार पर अनूठे ढंग से मनाया जाता है। तो चलिए आपको बताते हैं देश के कई हिस्सों में दिवाली कैसे और किन मान्यताओं से मनाई जाती है….

बनारस- देव दीपावली

उत्तर भारत की तरह ही बनारस में दिवाली मनाई जाती है लेकिन इसके साथ ही यहां देवताओं की दिवाली भी मनाई जाती है, जो दीवाली के 15 दिन बाद आती है। इस दिन बनारस के सभी घाटों पर दिये जलाए जाते हैं और गंगा में दीपों को प्रवाहित किया जाता है। इसे देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं और मेला लगता है।

पंजाब – स्वर्ण मंदिर की दिवाली

सिख इसे अपने छठें गुरु हरगोबिंद साहब की जेल से रिहाई के रूप में मनाते हैं। माना जाता है कि 1619 में जहांगीर ने गुरु हरगोबिंद और 52 राजकुमारों को कैद कर रखा था। दिवाली के दिन ही इन सब की रिहाई हुई थी। इसकी खुशी में दीवाली के दिन लोग गुरुद्वारों में जा कर दिये जलाते हैं और अमृतसर का स्वर्ण मंदिर रोशनी में नहा रहा होता है।

हरियाणा – अहोई माता की दिवाली

हरियाणा में घर की दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बनाने की परंपरा है, जिस पर घर के हर सदस्य का नाम लिखा जाता है। हर घर से चार दीपक चौराहे पर रखे जाते हैं, जिसे टोना कहते हैं। दिये की लौ से काजल बनाने की परंपरा है।

हिमाचल प्रदेश – बलि की परंपरा

हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में इस दिन ढोल-नगाड़ों के बीच पशुबलि देकर देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। परंपरा के अनुसार, ग्रामीण पशुओं को मंदिर में ले जाते हैं, दिवाली की रात बलि दी जाती है और लोकगीत गाकर खुशियां मनाई जाती हैं। इसके बाद मांस को पकाकर प्रसाद के रूप में खाया जाता है।

छत्तीसगढ़ – दिवाली नहीं दियारी

बस्तर के ग्रामीण इलाकों में दीपावली को उत्तर भारत की तरह नहीं मनाया जाता है। हालांकि यहां दिवाली की जगह दियारी मनाई जाती है। तीन दिन तक चलने वाले इस त्योहार में मुख्य रूप से मिट्टी और पशुधन की पूजा की जाती है। लोग खाने-पीने की कई चीजें बनाते हैं।

महाराष्ट्र – उबटन लगाकर स्नान

महाराष्ट्र में दीपावली का पहला दिन वसु बरस कहा जाता है और गाय और बछड़े की पूजा की जाती है। धनतेरस के अगले दिन यानी नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय से पहले उठकर उबटन और तेल लगाकर स्नान करने की परंपरा है। दिवाली के मौके पर करंजी, चकली, सेव जैसे पारंपरिक व्यंजन बनते हैं।

गुजरात – नया साल शुरू

गुजरात में दिवाली नए साल के रूप में भी मनाई जाती है। इस दिन संपत्ति की खरीद, कार्यालय खोलना, दुकान खोलना और विवाह संपन्न होना शुभ माना जाता है। उत्तर भारत की तरह ही यहां भी व्यापारी बहीखाते की पूजा करते हैं और नए साल पर नया बहीखाता शुरू किया जाता है। मोती पाक और मावा कचौड़ी जैसी पारंपरिक मिठाइयां बनाई जाती हैं।

तमिलनाडु – लड़की के घर मनाते हैं दिवाली

तमिलनाडु में दिवाली से जुड़ी एक अनोखा परंपरा है, जिसे थलाई दिवाली कहा जाता है। इसमें नवविवाहित जोड़े को दिवाली मनाने के लिए लड़की के घर जाना होता है, जहां उनका स्वागत किया जाता है। दोनों के परिवार जोड़े को तरह-तरह के तोहफे देते हैं।