हरियाणा: रोहतक व आसपास के क्षेत्रों में फैला जहरीला धुंआ

ख़बरें अभी तक। दीवाली पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखों पर लगाए गई रोक का लोगों पर कोई असर नहीं हुआ, बल्कि लोगों ने इस बार पिछले साल की अपेक्षा ज्यादा पटाखे फोड़े,इसका असर ये हुआ की सुबह धुंए की परत साफ देखी जा सकती थी।यही नहीं आंखों में जलन व लोगो को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही। इस बार भी दीवाली की  रात बीत जाने के बाद सुबह धुंए का आलम साफ नजर आया,चारो तरफ पटाखों का जहरीला धुंआ साफ नजर आ रहा था यही नही जहरीले धुंए की परत आसपास के क्षेत्रों में फैली हुई थी,पटाखों के जहरीले धुंए का आलम ये हुआ कि सुबह का सूरज भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था।

सांस लेने में बारूद की गंध साफ महसूस हो रही थी यही नहीं आंखों में जलन व सांस लेने में दिक्कते आ रही थी,लोगों का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशो का लोगों पर कोई असर नही हुआ बल्कि इसबार पहले की अपेक्षा ज्यादा पटाखे फोड़े गए। एक ग्रामीण धर्मपाल ने तो यह तक कहा पुलिस और प्रसासन यहा कोई नजर नहीं आया,उन्होंने बताया कि ये तो गांव का हाल शहर में तो और ज्यादा परेशानी हो रही होगी।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर पूरी तरह से तो बैन नही किया लेकिन पटाखे जलाने की अवधि जरूर सुनिश्चित कर दी थी,सुप्रीम कोर्ट के अनुसार दीवाली पर 8 बजे से 10 बजे तक व नववर्ष व क्रिसमस डे पर रात 11 से 12 बजे तक ही पटाखे फोड़ने का आदेश था लेकिन रोहतक व आसपास के क्षेत्रों में इसका कोई असर नहीं हुआ व लोगों ने पिछले साल की तरह ही पटाखे फोड़े।हम आप को बता दें दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ श्रेणी के बीच बनी रही लेकिन पटाखे फोड़ने की अवधि के दौरान यह ‘खतरनाक’ श्रेणी में पहुंच गई ।

अधिकारियों ने आगाह किया कि भले ही आंशिक रूप से विषाक्त पटाखे जलाए जाते हैं तो भी पिछले साल की तुलना में दिल्ली की वायु गुणवत्ता और खराब हो सकती है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 281 दर्ज किया गया जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली ने समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 319 दर्ज किया जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। रात दस बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 से भी ऊपर दर्ज किया गया और 400 से अधिक के स्तर को खतरनाक की श्रेणी में रखा जाता है