औधोगिक क्षेत्रों में धडल्ले से चल रहा है बाल श्रम, सरकार व प्रशासन का नहीं है ध्यान

खबरें अभी तक। नालागढ़ बद्दी बरोटीवाला ओधोगिक क्षेत्रो में बाल श्रम शरेआम देखा जा सकता है कूड़ा – कर्कट बीनते बच्चे हो या फिर ढाबों में बर्तन माजते किशोर सैंकड़ों की संख्या में बच्चे दिन भर हाड-तोड़ मेहनत करके शाम की दो रोटी का जुगाड़ कर रहे हैं यहाँ के उधोगों में भी बालश्रम जारी है लेकिन आंकड़े  व तकनिकी सबूतों के आधार में बाल श्रम के इन आरोपों को साबित नही किया जा सकता l यहाँ के सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार उनका कहना है कि प्रवासी बाल श्रम के लिए मजबूर हैं ओर केंद्र व  प्रदेश सरकार से पुनर स्थापन के लिए गंभीर कदम उठाने की मांग की हैं l

यह माना जाता है कि भारत में 14 साल के बच्चों की आबादी पूरी अमेरिकी आबादी से भी ज़्यादा है. भारत में कुल श्रम शक्ति का लगभग 3.6 फीसदी हिस्सा 14 साल से कम उम्र के बच्चों का है. हमारे देश में हर दस बच्चों में से 9 काम करते हैं. ये बच्चे लगभग 85 फीसदी पारंपरिक कृषि गतिविधियों में कार्यरत हैं, जबकि 9 फीसदी से कम उत्पादन, सेवा और मरम्मती कार्यों में लगे हैं. स़िर्फ 0.8 फीसदी कारखानों में काम करते हैं.

यहां बाल श्रम से निपटने की दिशा में न स़िर्फ नए सिरे से सोचने की आवश्यकता है, बल्कि इसके लिए कार्यरत विभिन्न परियोजनाओं को वित्तीय सहायता आवंटित करने की भी ज़रूरत है. कुछ मामलों में बाल श्रमिकों की पहचान की ज़रूरत तो नहीं है, लेकिन इन परियोजनाओं में कुछ बुनियादी संशोधन की आवश्यकता ज़रूर है. इस देश से बाल मज़दूरी मिटाने के लिए अधिक समन्वित और सहयोगात्मक रवैया अपनाने की सख्त आवश्यकता है।