सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे की जांच कराने से किया मना, कहा किसी जांच की जरूरत नहीं

ख़बरें अभी तक। मोदी सरकार द्वारा किया गया राफेल सौदा क्या है?: फ्रांस की अपनी यात्रा के दौरान, 10 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि सरकारों के स्तर पर समझौते के तहत भारत सरकार 36 राफेल विमान खरीदेगी. इस घोषणा के बाद विपक्ष ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री ने सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की मंजूरी के बिना कैसे इस सौदे को अंतिम रूप दिया. मोदी और तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलोंद के बीच वार्ता के बाद 10 अप्रैल, 2015 को जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि वे 36 राफेल जेटों की आपूर्ति के लिए एक अंतर सरकारी समझौता करने पर सहमत हुए है.

बता दें कि राफेल कई भूमिकाएं निभाने वाला और दोहरे इंजन से लैस फ्रांसीसी लड़ाकू विमान है और इसका निर्माण डसॉल्ट एविएशन ने किया है. राफेल विमानों को वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक सक्षम लड़ाकू विमान माना जाता है. बता दें कि राफेल भारत के पास एकमात्र विकल्प नहीं था. कई अंतरराष्ट्रीय विमान निर्माताओं ने भारतीय वायुसेना के सामने पेशकश की थी. बाद में छह बड़ी विमान कंपनियों को छांटा गया. इसमें लॉकहेड मार्टिन का एफ -16, बोइंग एफ / ए -18 एस, यूरोफाइटर टाइफून, रूस का मिग -35, स्वीडन की साब की ग्रिपेन और राफेल शामिल थे. सभी विमानों के परीक्षण और उनकी कीमत के आधार पर भारतीय वायुसेना ने यूरोफाइटर और राफेल को शॉर्टलिस्ट किया. डलास ने 126 लड़ाकू विमानों को उपलब्ध कराने के लिए अनुबंध हासिल किया, क्योंकि ये सबसे सस्ता मिल रहा था और इसका रखरखाव भी आसान है.

वहीं अब ये भी बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे की जांच कराने से मना कर दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में साफ तौर पर कहा है कि वह राफेल सौदे से जुड़ी किसी भी जांच के लिए तैयार नहीं है. राफेल विमानों का सौदा पिछले दिनों तब विवादों में आया था जब कांग्रेस ने उसे लेकर तमाम सवाल उठाए थे. भारत सरकार ने पिछले दिनों 36 राफेल विमान खरीदने के लिये फ्रांस से समझौता किया था. इस डील की जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई, लेकिन अब कोर्ट ने इसकी जांच से अपने हाथ खींच लिये हैं. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर ये फैसला सुनाया है.