प्लास्टिक की थैली को लेकर जिला प्रशासन व व्यापारी आमने सामने

ख़बरें अभी तक। भिवानी शहर में जिला प्रशासन व व्यापारी आमने सामने आ गए हैं। प्रशासन जहां प्लास्टिक की थैली बेचने व इनमें सामान देने वाले दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई कर मोटा जुर्माना लगा रहा है वहीं व्यापारी इसे ब्लैकमेल करना बता रहे हैं। दुकानदारों व व्यापारियों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि ये सब बंद नहीं हुआ तो सरकार को चुनावों में हाल ही में हुई हार की तरह हरियाणा में भी खामयाजा भुगतना पड़ेगा।

बता दें कि पिछले कुछ दिनों से मार्केट कमेटी और नगर परिषद के अधिकारी व कर्मचारी मिलकर शहर भर में प्लास्टिक की थैली बेचने वाले व्यापारियों व इनमें सामान बेचने वाले दुकानदारों के खिलाफ विशेष अभियान चलाए हुए हैं। प्लास्टिक की थैली बेचने व इनमें सामान बेचने वाले व्यापारियों व दुकानदारों की थैलियों जब्त कर उनसे 20 से 50 हजार रुपये का जुर्माना वसुला जा रहा है।

हालांकि देश भर में प्लास्टिक की थैली बेचना व उनमें सामान देना गैरकानूनी है, फिर भी शहर के दुकानदारों व व्यापारियों को प्रशासन के ये अभियान राष नहीं आ रहा। इसके विरोध में शहर भर के दुकानदार व व्यापारी नेता शनिवार को गौशाला मार्केट में इक्कठे हुए और सरकार व प्रशासन के खिलाफ रोष जताया। साथ ही प्रशासन पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाते हुए सरकार को बड़ी चेतावनी दी।

व्यापारी नेता विजय टैणी, जेपी कौशिक व राम अवतार शर्मा ने कहा कि थैली पर रोक पूरे हरियाणा में है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर ब्लैकमेल केवल भिवानी में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कार्रवाई करनी है तो थैली बनाने वालों के खिलाफ क्यों नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि कई बार दुकान पर एक आदमी पांच दस रुपये का सामान लेने आता है।

प्रशासन कहता है कि दही या जूस मिट्टी के कुल्हड़ में दें। जब आदमी सामान पांच दस रुपये का ले तो उसे दस रुपये के कुल्हड़ में कैसे दें। सभी ने एक मत से सरकार से इस अभियान पर रोक लगाने की मांग की। साथ ही चेतावनी दी कि ये अभियान बंद नहीं हुआ तो प्रदेश सरकार को चुनावों में राजस्थान, एमपी व छत्तिसगढ जैसी हार का समाना करना पड़ेगा।

निश्चित तौर पर प्लास्टिक की थैली पर्यावरण व गायों के लिए बहुत ही हानिकारक है। ना केवल हानिकारक बल्कि इस पर सालों से बैन भी है। बावजूद इसके देश भर में अधिकतर सामान की बिक्री व खरीद थैली में ही होती है। यहां तक की नामी गर्मी हर बङी कंपनी अपने अधिकतर उत्पादन प्लास्टिक थैली में पैक करती है। ऐसे में ये अभियान अंत की बजाय शुरुआत से शुरु करने की जरूरत है। यानि छोटे दुकानदारों की बजाय फैक्ट्रियों पर लगाम लगे तो ना बजेगी बांसूरी और ना टूटेगा बांस।