देश ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं बाराबंकी के बुनकर

ख़बरें अभी तक। बाराबंकी के दुपट्टा व्यवसाय पूरे देश ही नहीं विदेशों में प्रसिद्ध हैं। यहां की बुनकरी पूरे प्रदेश में इतनी लोकप्रिय है कि जिले में कृषि के बाद यह सबसे बड़ा व्यवसाय माना जाता है। सिर्फ बाराबंकी की बात की जाए तो लाखों परिवारों की रोजी-रोटी इसी व्यवसाय के सहारे चलती है। कुछ परिवार तो इसे पार्ट टाइम काम के रूप में भी इस्तेमाल कर रहे हैं। जनपद के कई घरों में दुपट्टे की बुनाई के बाद उसे तैयार करने का काम किया जाता है।

देश ही नहीं विदेशों में भी सिर पर बांधा जाने वाला डिजायनर रुमाल, पटका, लुंगी, बेडशीट, कुशन कवर जैसे हाथ से बने उत्पाद किसी का भी ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए काफी हैं। अपनी कसीदाकारी के जरिये नायाब उत्पाद बनाने के लिए बाराबंकी के बुनकर दुनियाभर की बाजारों में प्रसिद्ध हैं। आजादी से पहले यहां अंगौछा, लुंगी और अरबी रुमाल बनते थे, लेकिन जब इनकी मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में धीरे-धीरे घटने लगी तो बाराबंकी के बुनकरों ने खुद को फैशन के दौर में ढाल लिया। यहां के बुनकरों ने अब अच्छे और रंगीन सूत का इस्तेमाल करना शुरू किया। बुनकरों ने अंगौछे को स्टॉल का फैशनेबल रूप देकर मार्केट में दोबारा अपनी अलग पहचान बनाई और देश-दुनिया में छा गए।

अब आलम ये है कि बाराबंकी में बनने वाले नायाब बुनकर उत्पाद देश और विदेश की बाजार में में छाए हुए हैं। जिले में एक लाख से ज्यादा परिवार बुनकरी का काम करते हैं। यहां के प्रोडक्ट अपनी क्वालिटी और अलग डिजायन होने के नाते सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। खास बात यह है कि इन प्रोडक्ट की कीमत भी तीस रुपये से तीन सौ रुपये तक की ही होती है। यही वजह है कि जिले से बुनकर उत्पाद का सालाना टर्न ओवर भी करीब दो हजार करोड़ से ऊपर का है।

इस मामले में जब हमने उपायुक्त कंचन सुबोध से बात की तो उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत जनपद के हथकरघा उद्योग का चयन किया है जिसमे सबसे ज्यादा यहां स्टॉल का निर्माण हो रहा है । सरकार ने इनके लिए दो योजनाओं को धरातल पर उतार दिया है जिसके लिए इसके कारीगरों के वित्त पोषण को महत्व दिया जा रहा है। इसके लिए उन्होंने साक्षात्कार करके इस उद्योग से जुड़े कई लोगों का चयन कर लिया है और आगे कुछ दिनों में ही फिर से नए लाभार्थियों का चयन के साक्षात्कार की योजना है । सरकार भी इस उद्योग से जुड़े लोगों को स्वावलंबी बनाने के लिए उनके वित्त पोषण की तरफ ध्यान दे रही है और हम भी सरकार की इस योजना को लोगों तक पहुंचाने में मदद कर रहे है ।