मध्य प्रदेश: फर्जी कंपनी घोटाले में इंदौर के ट्रांसपोर्टर का नाम आया सामने

ख़बरें अभी तक। स्टेट जीएसटी और सेन्ट्रल जीएसटी द्वारा पकड़े गए फर्जी कंपनी बनाने के घोटाले में परतें खुलती जा रही हैं। वैसे तो तीन राज्यों में कई फर्जी कंपनियों की जांच चल रही है। लेकिन इन कंपनियों के तार इंदौर से भी जुड़ रहे हैं। जिसमे इंदौर के एक ट्रांसपोर्टर का नाम भी सामने आया है। इसके संचालक ने ना सिर्फ फर्जी ई-वेबिल जनरेट किए हैं। बल्कि अपने रिश्तेदारों के नाम पर गुजरात और महाराष्ट्र में फर्में भी खुलवा दी। कम्पनी के आफिस के पते पर जब अधिकारियों की टीम पहुंची तो वहां ऑफिस नहीं मिले।

वहीं सेंट्रल जीएसटी विभाग ट्रांसपोर्ट संचालक से पूछताछ कर चुका है। हालांकि पूछताछ में सामने आए तथ्य जारी जांच के चलते अधिकृत रूप से सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। कस्टम, सेंट्रल एक्साइज एंड सेंट्रल जीएसटी डिपार्टमेंट के हाथ प्रदीप ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन का नाम भी लगा। जिसके बाद अधिकारियों ने कंपनी के संचालक प्रदीप सिंह सिसोदिया से पूछताछ की। पूछताछ करीब दो घंटे चली। बाद में सिसोदिया को छोड़ दिया गया। इसके बाद उनके पिता से भी पूछताछ हुई। बताया जा रहा है कि आईटीसी मामले में प्रदीप ट्रांसपोर्ट का जिक्र आने के बाद सिसोदिया को बुलाया गया था।

स्टेट जीएसटी विभाग को प्राप्त शिकायत के अनुसार प्रदीप ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन के नाम से बड़ौदा की युनिक इंटरप्राइजेस और इंदौर की बालाजी इंटरप्राइजेस के बीच लोहे-प्लास्टिक स्क्रैप कारोबार हुआ। इसमें बालाजी इंटरप्राइजेस (23एयूएचपीपी4443पी1जेड6) के संचालक प्रदीप परमार है जबकि  यूनिक इंटरप्राइजेस के सर्वेसर्वा गौरवसिंह कुशवाह है।  बताया जा रहा है कि गौरव सिसोदिया का जीजा है जबकि परमार उनका ट्रांसपोर्ट मैनेजर है। दोनों फर्में जीएसटीएन के बाद से कारोबार कर रही है। इनका कारोबार करोड़ों का है। कारोबार सिर्फ आयरन स्क्रैप का नहीं है बल्कि टाइल्स और प्लास्टिक स्क्रैप का भी है।

बीते सप्ताह पुलिस ने स्क्रैप से भरा एक ट्रक जी पकड़ कर सीसीईसीजीएसटी को सौंपा था। जिस पर टेक्स चोरी करने पर 3 लाख का जुर्माना किया गया है।