जानिए, मकर संक्रांति पर्व क्यों और किस खास तरह से मनाया जाता है…

 खबरें अभी तक। इस बार मकर संक्रांति को लेकर कई लोगों में कन्फ्यूजन है कि ये पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा या 15 जनवरी को. तो इसका जवाब है 15 जनवरी को. इस बार सूर्य 14 जनवरी यानी सोमवार को रात 2.19 पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. जिस समय सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं उसके अगले दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. तो इस लिहाज से इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी यानी मंगलवार को मनाया जाएगा.

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क्यों कहा जाता है इस पर्व को मकर संक्रांति?

इस दिन सूर्य भगवान अपने पुत्र शनि की राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए इसे मकर संक्रांति कहते हैं. जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो सूर्य की किरणों से अमृत की बरसात होने लगती है. इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं. शास्त्रों में इस समय को दक्षिणायन यानी देवताओं की रात्रि कहा जाता है.

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क्या है इस पर्व से जुड़ी मान्यताएं?

मकर संक्रांति पर सूर्य के उत्तरायण होने से गरम मौसम की शुरुआत होती है. मान्यता है कि इस दिन किया गया दान सौ गुना होकर लौटता है इसलिए भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूजन करके घी, तिल, कंबल और खिचड़ी का दान किया जाता है. माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम प्रयाग में सभी देवी-देवता अपना रूप बदलकर स्नान करने आते हैं. यही कारण है कि इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है. महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का दिन ही चुना था. इसके साथ ही इस दिन भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर गंगा कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थी.