मेवात क्षेत्र की पहली मुस्लिम महिला शबनम बानो संस्कृत की लेक्चरार बनेंगी….

खबरें अभी तक। अगर कुछ कर जाने का जज्बा हो तो बड़ी से बड़ी बाधा पार की जा सकती है। ऐसा ही एक कारनामा मेवात की मुस्लिम महिला शबनम ने करके दिखाया है। शबनम पहली मुस्लिम महिला संस्कृत लेक्चरर बनी हैं। जिस संस्कृत विषय से मुस्लिम महिलाएं ही नहीं पुरुष भी दूर भागते हैं। वहीं शबनम मेवात की पहली मुस्लिम महिला बन गई हैं जिन्होंने संस्कृत संस्कृत में पीजीटी की उपाधि हासिल की है।

फिरोजपुर झिरका खंड के गांव अहमदबास निवासी सरफराज अंजुम मोर की पत्नी शबनम बानो का संस्कृत में पीजीटी में सिलेक्शन हुआ है। शबनम बानो मेवात क्षेत्र की पहली मुस्लिम महिला हैं, जो संस्कृत की लेक्चरार बनेंगी।

शबनम बानो ने कहा, संस्कृत को किसी धर्म विशेष से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। हालांकि, अभी उन्हें शिक्षा विभाग की तरफ से स्टेशन आवंटित नहीं हुआ है। शबनम की इस उपलब्धि पर पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर है।

शबनम बानो के पति अध्यापक रह चुके हैं और अभी हाईकोर्ट में वकालत करते हैं। शबनम का मानना है कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। उनका लक्ष्य है कि वो संस्कृत को समाज के प्रत्येक तबके तक ले जाएं ताकि सभी लोग संस्कृत के महत्व को समझ सकें। इसके साथ ही वह नूंह की बेटियों को तालीम देकर सशक्त बनाना चाहती हैं।

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शबनम बानो ने राजस्थान यूनिवर्सिटी, जयपुर से संस्कृत में बीए किया है। इसके बाद उन्होंने संस्कृत और राजनीति शास्त्र से डबल एमए की है। संस्कृत में बीएड करने के साथ-साथ वह एलएलबी भी कर चुकी हैं।

शबनम बताती हैं कि उनका जन्म राजस्थान के अलवर जिले के तिजारा कस्बे में हुआ था। उनके पिता राय खान अलवर के नामी वकील हैं। छोटा भाई नाजिम भी वकालत के पेशे से है। उनके एक भाई ने लंदन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है और अभी इंग्लैंड में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।

उनकी ननंद डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही है, जबकि दो ननद जेबीटी कर चुकी हैं। शबनम एक बच्चे की मां भी हैं। शबनम ने घर के चूल्हा -चौका बर्तन और बच्चे की देखरेख के बावजूद पढाई के लिए समय निकाला और इतिहास के अध्याय में अपना नाम हमेशा के लिए अमर कर लिया।